भाजपा नेता हिसाबी राय ने स्वास्थ्य,चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को लिखा पत्र।

भाजपा नेता हिसाबी राय ने स्वास्थ्य,चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को लिखा पत्र।

पाकुड़ से अशोक कुमार शर्मा।

पाकुड़: भारतीय जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष हिसाबी राय ने स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी को पाकुड़ सदर अस्पताल के स्वास्थ्य व्यवस्था के संबंध में पत्र लिखा है।विदित हो कि झारखंड सरकार स्वास्थ्य विभाग के संकल्प संख्या 172(10) स्वा• रांची के द्वारा सोनाजोड़ी में 12 वर्ष पूर्व एएनएम प्रशिक्षण भवन बनकर तैयार है,लेकिन यहां के छात्राओं को दुमका या अन्य जिलों में प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु जाना पड़ता है।अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि अनिश्चितकाल के लिए सार्वजनिक कार्यों को टालना समन्वय से योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए संयुक्त सहयोग से क्रियान्वित होने वाली अनुकूल परिस्थितियों के निर्माण करने में स्वास्थ्य विभाग परिणाम मूलक तार्किक परिणति तक नहीं पहुंच पा रही है जो दु:खद है।अतः पाकुङ में वर्षों से लंबित पङे ए•एन•एन• सेन्टर को प्रारंभ किया जाए।
अपने पत्र में श्री राय ने कहा है कि सदर अस्पताल पाकुङ में स्वीकृत कुल 32 चिकित्सकों में मात्र 7 और कार्यरत है उसमें भी डॉ• आर के चौधरी 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसके बाद मात्र 6 चिकित्सक ही सदर अस्पताल पाकुड़ में कार्यरत रह जाएंगे।आकांक्षी जिला पाकुड़ के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि सदर अस्पताल पाकुड़ में तय मापदंडों के अनुपालन से वंचित है और इस विभागीय लापरवाही और खामियाजा क्षेत्र के जनता को भुगतना पड़ रहा है। श्री राय ने सरकार के उप सचिव सीमा कुमारी उदयपुरी के पत्रांक संख्या 3(विविध-04-51/151076(3) दिनांक 27-11-2019 को संलग्न स्वास्थ्य,चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी से आग्रह किया है कि इन दो महत्वपूर्ण विषयों पर सरल प्रावधान,पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व निरीक्षण व्यवस्था के तहत बेहतर प्रावधानों और समयबद्ध सीमा में जनहित के इन उद्देश्यों की प्रतिपक के लिए बाध्यकारी आदेश देने का कष्ट किया जाए तथा सभी रिक्त पदों पर चिकित्सकों का पदस्थापन किया जाए। मीडिया को दिए गए अपने वक्तव्य में भाजपा नेता हिसाबी राय ने कहा है कि वर्तमान सरकार अनुत्पादक नीतियों और अनजान उलझन से ग्रस्त हैं और जनता के प्रति उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता में लक्ष्यों की समीक्षा के मंथन करने का समय नहीं है, जिससे जनहित के कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।

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