उच्च न्यायालय ने फेसबुक और गूगल से इस लड़की की सारी तस्वीरें फौरन हटाने को कहा! जाने क्या है पूरा मामला…

दिल्ली हाई कोर्ट ने गूगल और फेसबुक को निर्देश दिए हैं कि एक लड़की की आपत्तिजनक तस्वीरें हटाई जाएं. कोर्ट ने कहा है कि ये तस्वीरें लड़की की सहमति के बगैर अपलोड की जा रही हैं। और इस पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को एक्शन लेना चाहिए।
मामला क्या है?
24 साल की ये लड़की दिल्ली हाई कोर्ट के पास अर्जी लेकर पहुंची थी। कई सोशल मीडिया हैंडल्स पर उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें चलाई जा रही हैं। उसने अपनी याचिका में ये भी कहा कि उसने इन प्लेटफ़ॉर्म्स के पास रिक्वेस्ट भेजी कि उसकी तस्वीरें हटा ली जाएं. लकिन ऐसा नहीं हुआ।

‘न्यूज एजेन्सी’ में छपी रिपोर्ट के अनुसार लड़की ने अपनी याचिका में बताया कि 2012 में उसकी दोस्ती एक लड़के से हुई। जो उसके ही स्कूल में पढता था। उस समय लड़की की उम्र 16 साल थी। दोनों रिलेशनशिप में आए, लेकिन उनकी रिलेशनशिप अब्यूजिव थी, ऐसा लड़की ने बताया। ये भी कि लड़के ने जबरन उसे इंटिमेट तस्वीरें भेजने को मजबूर किया. बाद में उसे भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल भी किया।

रिपोर्ट के अनुसार लड़की ने याचिका में ये भी बताया है कि जब वो बाहर पढ़ने चली गई, तब भी वो लड़का उसके पीछे लगा रहा। उसके घर तक पहुंच गया. उस पर हमला किया, जिसके बाद वहां पुलिस के पास शिकायत भी दर्ज की गई। लड़के पर कानूनी कार्रवाई हुई, और 2017 में उसे लड़की से किसी भी तरह का संपर्क रखने से मना कर दिया गया।

याचिका के अनुसार, 2019 में लड़की को पता चला कि उसी लड़के ने उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाल दी हैं। उसने साइबर पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई। रिपोर्ट के अनुसार इस साल जुलाई में फेसबुक और गूगल ने कोर्ट को बताया कि लड़की कि तस्वीरों के URL (इंटरनेट पर एड्रेस) हटा लिए गए हैं।

इन सबके बावजूद अलग अलग यूजर्स द्वारा तस्वीरें अपलोड की जाती रहीं। चूंकि जब ये तस्वीरें ली गई थीं, तब लड़की की उम्र 16 साल थी, इसलिए ये तस्वीरें चाइल्ड पोर्नोग्राफी के तहत आती हैं। कोर्ट ने कहा कि सभी प्लेटफॉर्म्स को फौरन एक्शन लेते हुए इन तस्वीरों को हटाना चाहिए।

कोर्ट ने आदेश में क्या कहा?
न्यूज एजेन्सी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ जस्टिस विभु बाखरू ने पुलिस को निर्देश दिए कि आपत्तिजनक मटीरियल को नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के पास भेज दिया जाए। ये भी कहा गया कि पुलिस NCRB और दूसरी एजेंसियों के पास उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल करके उन लोगों को पहचानें जो भारत में बार-बार इस तरह का कॉन्टेंट अपलोड कर रहे हैं उन पर एक्शन ले।
फेसबुक और गूगल ने क्या कहा?
फेसबुक ने कोर्ट को बताया कि वो नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रेन नाम के NGO के साथ काम कर रहे हैं. जो गम हुए बच्चों को ढूंढने, और बच्चों के यौन शोषण को रोकने के लिए काम करता है. फेसबुक ने दावा किया कि जब भी उसे अपने प्लेटफ़ॉर्म पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी का पता चलता है, वो कॉन्टेंट हटा लिया जाता है.

गूगल ने भी एक एफिडेविट डालकर बताया कि वो आपत्तिजनक कॉन्टेंट हटाने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. अलग-अलग लोगों द्वारा रिपोर्टिंग तो की ही जाती है. इसके साथ-साथ उनका एक प्रोग्राम भी चलता है, इसमें वो सरकारी एजेंसियों और NGO को टूल्स उपलब्ध करवाते हैं ताकि यूट्यूब पर आपत्तिजनक कॉन्टेंट की जानकारी दी जा सके।

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